जमीं पे चाँद

 हम इसलिए भी अकेले रह जाते हैं

हम मोहब्बत को ज़िन्दगी बताते हैं


तुमने फूल से खुशबू पहचानी है

हम तो खुशबू से फूल बनाते हैं


तुम्हे यकीं नहीं होगा इस कुदरत पे

तुम्हे जमीं पे आज चांद दिखाते हैं


मेरे दिल बहुत कुछ सहना है तुझे

होठों का क्या ये तो यूंही मुस्काते हैं


जब आंखों को तलब होती है गिरीश

हम बस तुम्हारे शहर तक जा पाते हैं

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